Varkari Sanskruti

वारकरी परंपरा जपन्याचा छोटासा प्रयत्न

Category: Stotra

श्रीव्यंकटेश स्तोत्र:(Shri Venkatesh Stotra)

shri-venkatesh-stotra || श्रीव्यंकटेश स्तोत्र || श्रीगणेशाय नमः । श्री व्यंकटेशाय नमः । ॐ नमो जी हेरंबा ।सकळादि तूं प्रारंभा । आठवूनि तुझी स्वरुपशोभा । वंदन भावें करीतसे ॥ १ ॥ नमन माझे हंसवाहिनी । वाग्वरदे विलासिनी । ग्रंथ वदावया निरुपणी…

स्तोत्र :(Stotra)

stotra || स्तोत्र || स्तोत्र हा एक संस्कृत शब्द असून त्याचा अर्थ “स्तुती” किंवा “प्रार्थना” असा होतो. स्तोत्र हे एखाद्या देवतेच्या गुणांचे, कार्यांचे, आणि महत्त्वाचे गुणधर्मांचे स्तवन करणारे श्लोकांचे संकलन असते. मराठीत स्तोत्राचे पठण हे म्हणजेच भक्तिपूर्ण भावना व्यक्त करण्यासाठी…

रामरक्षा स्तोत्र मराठी अर्थासहित :(Ramraksha Stotra Marathi Arthasahit)

ramraksha-stotra || रामरक्षा स्तोत्र || अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।बुधकौशिकऋषिः ।श्रीसीतारामचन्द्रो देवता ।अनुष्टुप् छ्न्दः । सीता शक्तिः ।श्रीमद् हनुमान् कीलकम् ।श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । कीलकम् – आधारस्तंभ,कवच अर्थ:या श्रीरामरक्षा स्तोत्ररूपी मंत्राचे रचनाकार बुधकौशिक ऋषी आहेत. याची देवता श्रीसीतारामचंद्र, छंद] [छंद अनुष्टुप, शक्ती…

गणपती स्तोत्र :(Ganpati Stotra)

ganpati-stotra || गणपती स्तोत्र || ।।नारद उवाच ।। प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।।भक्तावासं स्मरेनित्यमायु:सर्वकामार्थसिध्दये ।।१।। प्रथमं वक्रतुंड च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।। २।। लंबोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।सप्तमं विघ्न राजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।। ३।। नवमं भालचंद्रं च दशमं…

रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र:(Ravankrut Shivtandav Stotra)

ravankrut-shivtandav || रावणकृत शिवताण्डवस्तोत्र || जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थलेगलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयंचकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. १.. जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी–विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि .धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावकेकिशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. २.. धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुरस्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे .कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदिक्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. ३.. जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभाकदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखेमदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरेमनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. ४.. सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखरप्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूःभुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. ५.. ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरंमहाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः …..

सद्गुरु स्तोत्र:(Sadguru Stotra)

sadguru-stotra || सद्गुरु स्तोत्र || गुरू| गुणालया| परापराधिनाथ सुंदरा|देवादिकांहुनि वरीष्ठ तूचि साजीरा|गुणावतार तू धरोनिया या जगास तारीसी| सुरा मुनीश्वरा अलभ्य या गतीस दावीसी||१|| जया गुरूत्व वेधिले तयासि कार्य साधिले| भवार्णवासि लंघिले सुविघ्नदुर्ग भंगिले|सहा रिपूंसि जिंकिले निजात्मतत्व चिंतीले|परात्परासि पाहीले प्रकृष्ट दु:ख…

स्वामी समर्थ स्तोत्र:(Swami Samarth Stotra)

swami-samarth-stotra || स्वामी समर्थ स्तोत्र || ॐ श्री अक्कलकोटस्वामी समर्थास नम: | ॐ नमो श्रीगजवदना | गणराया गौरीनंदना | विघ्नेशा भवभयहरणा | नमन माझे साष्टागी || १|| नंतर नमिली श्री सरस्वती | जगन्माता भगवती | ब्रम्ह्य कुमारी वीणावती | विद्यादात्री विश्वाची ||…

शिव महिमा स्तोत्र:(Shiv Mahima Stotra)

shiv-mahima-stotra || शिव महिमा स्तोत्र || शिव महिमा स्तोत्र: परिचय आणि महत्त्व- सर्व देवतांमध्ये सर्वोच्च स्थान असलेले देवाधिदेव भगवान शिव हे विश्वाच्या त्रिमूर्तींपैकी—ब्रह्मा, विष्णू आणि महेश—एक महत्त्वपूर्ण देवता आहेत. सृष्टीची निर्मिती, पालन आणि संहार या तिन्ही कार्यांमध्ये त्यांचे अनन्य स्थान…

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र:(Shri Shiv Panchakshar Stotra)

shri-shiv-panchakshar-stotra || श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र || श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥ शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।श्रीनीलकण्ठाय…

महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् :(Mahishasurmardini Stotra)

mahishasurmardini-stotra || महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम् || अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुतेगिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि शक्ति रूपेना जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥१॥ सुरवर वर्षिणि दुर्धर धर्षिणि दुर्मुख मर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिष मोषिणि घोषरते।दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुतेजय जय…