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संत जोगा परमानंद-अभंग : (Sant Joga Paramananda Abhang)
अभंग ,संत जोगा परमानंद- sant-joga-paramananda-abhang || संत जोगा परमानंद-अभंग || १ “बैसोनि संता घरी हो। घेतली गुरगुंडी ॥ ध्रु०्॥ आधी ब्रह्मांड नारळ। मेरू सत्त्व तो आढळ ॥ निर्मळ सत्रावीचे जळ। सोहं गुरगुंडी, गुरगुडी।। चिलमी त्रिगुण त्रिविध। मी पण खटा तो…
