भजन– “विघ्न हरन गौरी के नंदन”

विघ्न हरन, गौरी के नंदन

सुमिर सदा सुखदायी रे..

तुलसीदास जो गणपती सुमिरै

कोटि विघ्न टल जाई रे..

tulsidas-bhajan-vighna-haran-gauri-ke-nandan

वेद पुरान कथा से पहले..

जो सुमिरै सुखदायी रे..

अष्ठ सिधि नवनिधि लक्ष्मी

मन इच्छा फलदायी रे..