भजन-“मातु पिता गुर प्रभु कै बानी”

मातु पिता गुर प्रभु कै बानी

बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी

मातु पिता गुर स्वामि निदेसू

सकल धरम धरनीधर सेसू

tulsidas-bhajan-matu-pita-guru-prabhu-ke-bani

चारि पदारथ करतल ताकें

प्रिय पितु मातु प्रान सम जाकें

अस जियँ जानि सुनहु सिख भाई

करहु मातु पितु पद सेवकाई

सुनु जननी सोई सुत बड़भागी

जो पितु मातु बचन अनुरागी

धन्य जनमु जगतीतल तासू

पितहि प्रमोदु चरित सुनि जासू

गुर पितु मातु महेस भवानी

प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी

राम नाम कलि अभिमत दाता

हित परलोक लोक पितु माता

मातु पिता गुरु स्वामि सिख, सिर धरि करहि सुभायँ 

लहेउ लाभु तिन्ह जनम कर, नतरु जनमु जग जायँ

अनुचित उचित बिचारु तजि, जे पालहिं पितु बैन

ते भाजन सुख सुजस के, बसहिं अमरपति ऐन|