भजन– “बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी”

बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी 

त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी

चर अरु अचर नाग नर देवा

सकल करहिं पद पंकज सेवा

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कुंद इंदु दर गौर सरीरा 

भुज प्रलंब परिधन मुनिचीरा

भुजग भूति भूषन त्रिपुरारी

आननु सरद चंद छबि हारी

तरुन अरुन अंबुज सम चरना 

नख दुति भगत हृदय तम हरना

सो तुम्ह जानहु अंतरजामी 

पुरवहु मोर मनोरथ स्वामी

सेवक स्वामि सखा सिय पी के

हित निरुपधि सब बिधि तुलसी के

र पितु मातु महेस भवानी

प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी

कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुना अयन

जाहि दीन पर नेह, करउ कृपा मर्दन मयन

जटा मुकुट सुरसरित सिर, लोचन नलिन बिसाल

नीलकंठ लावन्यनिधि, सोह बालबिधु भाल

प्रभु समरथ सर्बग्य सिव, सकल कला गुन धाम

जोग ग्यान बैराग्य निधि, प्रनत कलपतरु नाम