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||संत तुकडोजी आरती ||
जय जय सतगुरु दीनदयाल दरससे हर्ष भयो
लाखो जन्म कारे पुन जाके , तब पाए महाराज
धन्य भये हम आज मिले तुम , सिद्ध भये सब
काज ||१
टूट गयो अज्ञान अँधेरा , छायो बोध
प्रकाश … रूप तुम्हारा नजरमो भायो, पाप भये सब
नाश ||२
किसविध महिमा गाऊ तुम्हारी बानी न
पहुचे जाय.
तन मन धनसे करू आरती,हिरदय बिच बसाय||३..
चौदाभुवन प्रकाश तुम्हारा , ध्वजा खड़ी चाहुधाम .
स्वर्ग मृत्यु पटल तिहु से, तुम्ही हो उपराम ||४..
ये तन थल नयन की बाती , तर सदा उजराय .
तुकड्यादास दरस का भुखा ,यही पद हरदम पाय||
रचयिता –वंदनीय राष्ट्रसंत
श्री तुकडोजी महाराज||
||जय गुरु||