भजन-“सेस गनेस महेस दिनेस”

सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।


जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥

raskhan-bhajan-ses-ganes-mahes-dines

नारद से सुक व्यास रटें, पचिहारे तऊ पुनि पार न पावैं।


ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥