Varkari Sanskruti

वारकरी परंपरा जपन्याचा छोटासा प्रयत्न

Abhang

संत भागूबाई-अभंग : (Sant Bhagubai Abhang)

अभंग,संत भागूबाई– sant-bhagubai-abhang || संत भागूबाई-अभंग || मी रे अपराधी मोठी । मज घालावें बा पोटीं ।मी तान्हुलें अज्ञान । म्हणू का देऊ नये स्तन ॥ अवघ्या संतां तूं भेटसी । मी रे एकली परदेशी ॥भागू म्हणे विठोबासी । मज…

संत बंका-अभंग : (Sant Banka Abhang)

अभंग,संत बंका- sant-banka-abhang || संत बंका-अभंग ||  १ चरण मिरवले विटेवरी दोनी ।ध्यातसे ध्यानी सदाशिव ॥१॥तो हा पंढरीराव कर दोनी कटीं ।अभा असे तटीं भीवरेच्या ॥२॥मुगुट कुंडले श्रीमुख शोभले ।ध्यानी मिरवलें योगियांच्या ॥३॥वंका म्हणे सर्व सिध्दिंचा दातार ।भक्तां अभयकर देत…

संत नरहरी सोनार-अभंग : (Sant Narhari Sonar Abhang)

अभंग,संत नरहरी सोनार sant-narhari-sonar-abhang || संत नरहरी सोनार-अभंग || १नव्हें तें सगुण नव्हे तें निर्गुण । जाणती हे खूण तत्त्वज्ञानी ॥ १ ॥आहे तें अंबर निःशब्द निराळ । अद्वय केवळ जैसें तैसे ॥ २ ॥म्हणे नरहरी सोनार तैं क्षर ना…

संत संताजी-अभंग :(Sant Santaji Abhang)

अभंग,संत संताजी- sant-santaji-abhang || संत संताजी-अभंग ||  १ माझिया जातीचा मज भेटो कोणी ।आवडिची धनी पुरवावया ।। १ ।।माझिया जातीचा मजशी मिळेल ।कळेल तो सर्व समाचार ।। २ ।।संतु म्हणे येथे पाहिजे जातीचे ।येर गबाळाचे काम नाही ।। ३ ।।…

संत कान्होपात्रा-अभंग : (Sant Kanhopatra Abhang)

अभंग,संत कान्होपात्रा- sant-kanhopatra-abhang || संत कान्होपात्रा-अभंग || १ दीन पतित अन्यायी ।शरण आले विठाबाई ।। १ ।।मी तो आहे यातीहीन ।न कळे काही आचरण ।। २ ।।मज अधिकार नाही ।शरण आले विठाबाई ।। ३ ।।ठाव देई चरणापाशी |तुझी कान्होपात्रा दासी…

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तुलसीदास भजन- “विघ्न हरन गौरी के नंदन” :(Tulsidas Bhajan-Vighna Haran Gauri Ke Nandan)

भजन– “विघ्न हरन गौरी के नंदन” tulsidas-bhajan-vighna-haran-gauri-ke-nandan || विघ्न हरन गौरी के नंदन || विघ्न हरन, गौरी के नंदन सुमिर सदा सुखदायी रे.. तुलसीदास जो गणपती सुमिरै कोटि विघ्न टल जाई रे.. वेद पुरान कथा से पहले.. जो सुमिरै सुखदायी रे…..

तुलसीदास भजन-“प्रगट भये सिरि राम हो रामा” : (TulsiDas Bhajan-Pragat Pragata Bhaye Siri Ram Ho Rama)

भजन-“प्रगट भये सिरि राम हो रामा” tulsidas-bhajan-pragat-bhaye-siri-ram-ho-rama || प्रगट भये सिरि राम हो रामा || प्रगट भये सिरि राम, हो रामा चैत महिनवा. जनम लीन्ह, भगवान हो रामा चैत महिनवा. सरजू. तीरे नगरी अयोध्या. सरजू तीरे नगरी अयोध्या… जनम लिहिन…

तुलसीदास भजन-“राम जी के भइले जनमवा”:(Tulsidas Bhajan-Ram Ji Ke Bhaile Janamva)

भजन-“राम जी के भइले जनमवा” tulsidas-bhajan-ram-ji-ke-bhaile-janamva || राम जी के भइले जनमवा || हो….. अरि अवध में, बाजै  बधै.या…. कौशल्या के, ललना… भई.. अरे. नौमी तिथि, अति शीत न घामा… कौशल्या के, ललना… भई.. हो……… अरि राम जी के, भइले…

तुलसीदास भजन-“देबि पुजि पद कमल तुम्हारे” : (Tulsidas Bhajan-Debi Puji Pad Kamal Tumhare)

भजन-“देबि पुजि पद कमल तुम्हारे” tulsidas-bhajan-debi-puji-pad-kamal-tumhare || देबि पुजि पद कमल तुम्हारे || देबि पूजि पद कमल तुम्हारे सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे जय जय गिरिबरराज किसोरी जय महेस मुख चंद चकोरी जय गज बदन षड़ानन माता जगत जननि…

तुलसीदास भजन- “बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी” : (Tulsidas Bhajan-Biswanath Mam Nath Purari)

भजन– “बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी” tulsidas-bhajan-biswanath-mam-nath-purari || बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी || बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी  त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी चर अरु अचर नाग नर देवा सकल करहिं पद पंकज सेवा कुंद इंदु दर गौर सरीरा  भुज प्रलंब परिधन मुनिचीरा भुजग…

तुलसीदास भजन-“बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा” : (TulsiDas Bhajan-Bandaon Guru Pad Padum Paraga)

भजन-“बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा” tulsidas-bhajan-bandaon-guru-pad-padum-paraga || बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा || दऊँ गुरु पद पदुम परागा सुरुचि सुबास सरस अनुरागा गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन जे गुर चरनु रेनु सिर धरहीं ते…

तुलसीदास भजन-“मातु पिता गुर प्रभु कै बानी” : (TulsiDas Bhajan-Matu Pita Guru Prabhu Ke Bani)

भजन-“मातु पिता गुर प्रभु कै बानी” tulsidas-bhajan-matu-pita-guru-prabhu-ke-bani || मातु पिता गुर प्रभु कै बानी || मातु पिता गुर प्रभु कै बानी बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी मातु पिता गुर स्वामि निदेसू सकल धरम धरनीधर सेसू चारि पदारथ करतल ताकें प्रिय…

सूरदास जी,भजन-“प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो” : (Surdas Ji Bhajan Prabhu Mere Chit Na Dharo)

भजन-“प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो” surdas-ji-bhajan-prabhu-mere-chit-na-dharo || प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो || प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो |समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार करो || एक लोहा पूजा मे राखत, एक घर बधिक परो |सो…

सूरदास जी,भजन-“अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी” : (Surdas Ji Bhajan -Akhiya Hari Darshan Ki Pyasi)

भजन-“अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी” surdas-ji-bhajan-akhiya-hari-darshan-ki-pyasi ||अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी || अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी | देखियो चाहत कमल नैन को, निसदिन रहेत उदासी | आये उधो फिरी गए आँगन, दारी गए गर फँसी | केसर तिलक मोतीयन…

सूरदास जी,भजन-“सबसे ऊंची प्रेम सगाई” : (Surdas Ji Bhajan-Sabse Unchi Prem Sagai)

भजन-“सबसे ऊंची प्रेम सगाई” surdas-ji-bhajan-sabse-unchi-prem-sagai || भजन-“सबसे ऊंची प्रेम सगाई || सबसे ऊंची प्रेम सगाई दुर्योधन के मेवा त्याग्यो, साग विदुर घर खाई | जूठे फल शबरी के खाये, बहु विधि स्वाद बताई | राजसूय यज्ञ युधिष्ठिर कीन्हा, तामे जूठ…