भजन, मीराबाई -“सुण लीजो बिनती मोरी”
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|| मीराबाई भजन -“सुण लीजो बिनती मोरी” ||
“सुण लीजो बिनती मोरी”
सुण लीजो बिनती मोरी,
मैं शरण गही प्रभु तेरी।
तुम (तो) पतित अनेक उधारे,
भव सागरसे तारे॥
मैं सबका तो नाम न जानूँ,
कोइ कोई नाम उचारे।
अम्बरीष सुदामा नामा,
तुम पहुँचाये निज धामा॥
ध्रुव जो पाँच वर्ष के बालक,
तुम दरस दिये घनस्यामा।
धना भक्त का खेत जमाया,
भक्त कबिरा का बैल चराया॥
सबरी का जूंठा फल खाया,
तुम काज किये मन भाया।
सदना औ सेना नाईको,
तुम कीन्हा अपनाई॥
करमा की खिचड़ी खाई,
तुम गणि का पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रँग राती,
या जानत सब दुनियाई॥