Category: Sant Narsi Mehta Kavita
संत नरसी मेहता कविता :(Sant Narsi Mehta Kavita)
sant-narsi-mehta-kavita संत नरसी मेहता १ दुनियां के शहरों में मियां, जिस जिस जगह बाज़ार हैं।किस किस तरह के हैं हुनर, किस किस तरह के कार हैं॥कितने इसी बाज़ार में, ज़र के ही पेशेवार हैं।बैठें हैं कर कर कोठियां, ज़र के…