Varkari Sanskruti

वारकरी परंपरा जपन्याचा छोटासा प्रयत्न

Category: bhajan

रसखान भजन-“प्रान वही जु रहैं रिझि वापर” : (Raskhan Bhajan-Pran Vahi Ju Rahe Rijhi Vapar)

भजन-“प्रान वही जु रहैं रिझि वापर” raskhan-bhajan-pran-vahi-ju-rahe-rijhi-vapar || प्रान वही जु रहैं रिझि वापर || प्रान वही जु रहैं रिझि वापर, रूप वही जिहिं वाहि रिझायो। सीस वही जिहिं वे परसे पग, अंग वही जिहीं वा परसायो दूध वही जु…

रसखान भजन-“संकर से सुर जाहिं जपैं”: (Raskhan Bhajan-Sankar Se Sur Jahi Japaim)

भजन-“संकर से सुर जाहिं जपैं” raskhan-bhajan-sankar-se-sur-jahim-japaim ||संकर से सुर जाहिं जपैं || संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं। नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।। जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन…

रसखान भजन-“गावैं गुनी गनिका गन्धर्व” :(Raskhan Bhajan-Gavaim Guni Ganika Gandharva)

भजन-“गावैं गुनी गनिका गन्धर्व” raskhan-bhajan-gavaim-guni-ganika-gandharva || गावैं गुनी गनिका गन्धर्व || गावैं गुनी गनिका गन्धर्व औ सारद सेस सबै गुण गावैं। नाम अनन्त गनन्त गनेस जो ब्रह्मा त्रिलोचन पार न पावैं।। जोगी जती तपसी अरु सिद्ध निरन्तर जाहिं समाधि लगावैं।…

रसखान भजन-“मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं” : (Raskhan Bhajan-Morphaka Seer Upper Rahkihoun)

भजन-“मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं” raskhan-bhajan-morphaka-seer-upper-rahkihoun || मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं || मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी। ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।। भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी। या…

रसखान भजन-“कर कानन कुंडल मोरपखा”: (Raskhan Bhajan-Kar Kanan Kundal Morphaka)

भजन-“कर कानन कुंडल मोरपखा” raskhan-bhajan-kar-kanan-kundal-morphaka || कर कानन कुंडल मोरपखा || कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि छाजती है रसखानी लखै तन पीतपटा सत दामिनी कि दुति लाजती है वह…

रसखान भजन-“मोरपखा मुरली बनमाल” :(Raskhan Bhajan-Morpankh Murli BanMal)

भजन-“मोरपखा मुरली बनमाल” raskhan-bhajan-morpankh-murli-banmal || मोरपखा मुरली बनमाल || मोरपखा मुरली बनमाल, लख्यौ हिय मै हियरा उमह्यो री। ता दिन तें इन बैरिन कों, कहि कौन न बोलकुबोल सह्यो री॥ अब तौ रसखान सनेह लग्यौ, कौउ एक कह्यो कोउ लाख…

रसखान भजन-“कानन दै अँगुरी रहिहौं” : (Raskhan Bhajan-Kanan Dai Anguri Rahihoun)

भजन-“कानन दै अँगुरी रहिहौं” raskhan-bhajan-kanan-dai-anguri-rahihoun || कानन दै अँगुरी रहिहौं || कानन दै अँगुरी रहिहौं, जबही मुरली धुनि मंद बजैहै। मोहिनि तानन सों रसखान, अटा चढ़ि गोधुन गैहै पै गैहै॥ टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि, काल्हि कोई कितनो समझैहै। माई री…

रसखान भजन-“धूरि भरे अति सोहत स्याम जू” : (Raskhan Bhajan-Dhuri Bhare Ati Sohat Shyam Ju)

भजन-“धूरि भरे अति सोहत स्याम जू” raskhan-bhajan-dhuri-bhare-ati-sohat-shyam-ju || धूरि भरे अति सोहत स्याम जू || धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी। खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।। वा छवि को रसखान विलोकत,…

रसखान भजन-“सेस गनेस महेस दिनेस” :(Raskhan Bhajan-Ses Ganes Mahes Dines)

भजन-“सेस गनेस महेस दिनेस” raskhan-bhajan-ses-ganes-mahes-dines || सेस गनेस महेस दिनेस || सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै। जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥ नारद से सुक व्यास रटें, पचिहारे तऊ पुनि पार न पावैं। ताहि अहीर…

रसखान भजन-“मानुस हौं तो वही”: (Raskhan Bhajan-Manus Haun To Wahi)

भजन-“मानुस हौं तो वही” raskhan-bhajan-manus-haun-to-wahi || मानुस हौं तो वही || मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को,…