गणपतीची आरती
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|| बारों में आरती गणपतचरना ||
बारों में आरती गणपतचरना।
बरगजवदना गिरिजानंदना॥ बारो.॥धृ.॥
कोमल पदपंकज सुकुमार।
झ्यंझन नुपुर कर घनघोर ॥ बारो॥१॥
पीतांबर कटी नाभि सुब्याळ।
लंबोधर गरे मोहन माल॥॥ बारो॥२.॥

रतनमुकुट सिस चंद सुमनिये।
श्रवणच्युवत मद कुंडल सोहे॥ ॥ बारो॥३.॥
अनुपम रुप तेरो कांहालो बखानू।
मंगिशसुत शरणागता ज्यानू॥ बारो मे॥४.॥